कब्जियत - सभी बिमारीयों का मूल कारण हैं इसको कैसे दूर करें?
मौजूदा हालात ये हैं कि अगर रोगियों का वर्गीकरण किया जाए तो सबसे ज्यादा जिस रोग के शिकार लोग मिलेंगे, वह है कोष्ठबद्धता, यानी कब्जियत। आजकल के अप्राकृतिक आहार-विहार का यह अनिवार्य नतीजा है। पूरी-कचौरी, समोसे, तरह-तरह की मिठाइयाँ, पाव रोटी, बिस्कुट, तली-भुनी चीजें और तमाम तरह के फोकरहित व्यंजन तथा श्रमहीन अनियमित दिनचर्या, ये सब कब्जियत के प्रधान कारण हैं।
कब्जियत होने का मुख्य कारण
भोजन में रेशाविहीन चीजों को ज्यादा स्थान देने तथा शरीर को पर्याप्त श्रम न करने देने के कारण आँतों की सक्रियता कम होने लगती है। अगर शरीर को पर्याप्त गतिशील न रखा जाए तो जठर में पाचक रसों का भी पर्याप्त स्राव नहीं हो पाता। नतीजतन, आहार की पाचन क्रिया मंद पड़ने लगती है और मल निष्कासन का काम बाधित होकर कब्जियत की शुरुआत हो जाती है। कब्जियत के नाते ही आँतों में मल सड़कर विष बनता है और सारे रक्त को दूषित करता है। इस तरह से और भी तमाम रोगों की नींव पड़ जाती है। इसीलिए आयुर्वेद में ‘कुपित मल’ को अधिकतर रोगों की जड़ कहा गया है।
इसके अलावा कब्ज का एक कारण ज्यादा मानसिक तनाव भी है। यदि हम मानसिक तनाव की स्थिति से गुजर रहे हों तो इसका असर पाचन संस्थान पर निश्चित रूप से पड़ता है। जठर में पाचक रसों का स्राव कम होने लगता है और पाचनक्रिया मंद पड़ जाती है।
कब्जियत से बचने के उपाय
भोजन को अच्छी तरह से चबाना
कुछ ऐसे उपाय हैं, जिनको अपनाने से कब्जियत की स्थिति से बचा जा सकता है या उसे दूर किया जा सकता है। इस संबंध में पहली बात तो यह है कि हमें आहार को अच्छी तरह चबाकर खाना चाहिए। इसीलिए कहा जाता है कि ‘द्रव को खाइए और ठोस को पीजिए’, यानी पानी घूँट-घूँटकर पीजिए और ठोस चीजों को इतना चबाइए कि वे पीने लायक बन जाएँ। यों भी दाँतों का काम आँतों से नहीं लिया जा सकता है। यदि दाँतों का भार आँतों पर डाला जाएगा तो निश्चित है कि आँतें कमजोर पड़ेंगी और कब्जियत जैसी बीमारियाँ पैदा होंगी ही।
शुद्ध और हरा भोजन करना

कब्ज की दृष्टि से भोजन में सुधार सबसे महत्त्वपूर्ण है। हरी शाक-भाजी, सलाद और रेशेदार चीजों का इस्तेमाल भोजन में बढ़ाना चाहिए। छिलकायुक्त दालें, चोकर- युक्त आटे की रोटियाँ, अंकुरित अनाज पौष्टिकता तो देते ही हैं, आँतों की सक्रियता भी बढ़ाते हैं।
नियमित रूप से पानी पीना
पानी का भरपूर इस्तेमाल करना चाहिए। दिन भर में 7-8 गिलास पानी पिया जाए तो अच्छा है। हफ्ते-दो हफ्ते में एक दिन के उपवास और एनिमा के इस्तेमाल से कब्ज ही क्या, अन्य तमाम रोगों से बचा रहा जा सकता है। एक प्रयोग यह करें कि सबेरे पाखाना जाने से पहले एक बड़ा गिलास पानी जरूर पिएँ। हो सके तो रात भर ताँबे के बरतन में रखा हुआ पानी एक-सवा लीटर तक पी जाएँ। कुछ देर टहलने के बाद पाखाना जाएँ। इससे आँतों का काम आसान हो जाएगा। उषःपान करते रहने से और भी कई लाभ मिलेंगे।
सुबह की अच्छी शुरुआत
सबेरे एक तो जल्दी उठें; दूसरा, उठने के तीन-चार घंटे बाद ही हल्का-फुल्का नाश्ता लें। इससे जठर में उत्पन्न ‘अम्ल’ को पचाने के लिए पर्याप्त समय मिल जाता है। वैसे जल्दी भोजन किया जाए तो नाश्ता कई मायनों में फिजूल है। ऐसा देखा गया है कि सिरदर्द व पेट के कई रोगियों का नाश्ता बंद कर दिया गया तो वे ठीक हो गए और उनमें स्फूर्ति भी आ गई। नाश्ता न करना हो तो नीबू और शहद का शरबत पिएँ।

संतुलित भोजन और फल का सेवन
दोपहर और शाम के भोजन में 6 से 8 घंटे का अंतराल रखें। ज्यादा रात में भोजन करना नुकसानदेह है। कब्ज के रोगी अमरूद के मौसम में सबेरे नाश्ते के रूप में पाव भर अमरूद खाएँ तो अच्छा लाभ मिलेगा। गरमी में जब बेल मिलने लगे तो पके बेल का एक गिलास शरबत सबेरे या दोपहर भोजन के तीन-चार घंटे बाद पिएँ। अन्य दिनों में भोजन के बाद पका मीठा पपीता खाएँ तो कब्ज सहित पेट के अन्यान्य रोगों में भी अतिशय लाभ मिल सकता है। इसके अलावा नीबू, आँवला, भुने चने, छाछ आदि का यथोचित सेवन पेट की विभिन्न बीमारियों से बचाए रखता है। हरड़ का सेवन कब्ज भगाने का एक अच्छा उपाय है।
कब्जियत में ईसबगोल का सेवन भी लाभप्रद है। रात या दिन में किसी भी समय इसे पानी, दूध या फलों के रस के साथ लिया जा सकता है।
नियमित रूप से टहलना और योग आदि क्रियाएं भी लाभप्रद

सुविधानुसार उपचारों को अपनाते हुए सबेरे 4-5 कि. मी. पैदल टहलने की आदत डालें। हो सके तो अपने अनुकूल कुछ योगासनों का चयन करके नियमित अभ्यास करें। शरीर को चुस्त-दुरुस्त रखने के लिए यह सर्वश्रेष्ठ उपायों में से है। योगासन शुरू में तकलीफदेह लग सकता है, पर एक समय बाद ठीक तरीके से अभ्यास हो जाने पर आनंददायक है। अलबत्ता, योगासनों का चयन किसी योग विशेषज्ञ से सलाह लेकर ही करना चाहिए। इनमें से यथेष्ट उपायों को अपनाने के कुछ दिन बाद आप देखेंगे कि आपको हर समय परेशान करनेवाली कब्जियत आपसे कोसों दूर भाग जाएगी और पास फटकने की कभी हिम्मत भी न करेगी। कब्ज पर इतनी विस्तृत चर्चा करने की जरूरत इसलिये महसूस हुई तल कि कब्ज ही अधिकतर रोगों की जड़ है। यदि पेट में कब्ज की स्थिति न बनने पाए तो दूसरे तमाम रोगों से बचा जा सकता है।
अंततः
हम सभी ये भलीभांति जानते हैं की रोगो से बचाव ही एक बेहतर उपचार है। अतः अपनी दैनिक क्रियाओं पे नियंत्रण रखें और नियमित रूप से योगाभ्यास तथा विभिन्न प्रकार के शारीरिक क्रियाएं भी करें। अपने जीवन में एक संतुलित भोजन की शुरुआत करें और रोग मुक्त रहें।
अगर आप कब्ज या कोई अन्य रोग से पीडित है तो नित्यानादी आयुर्वेद को सम्पर्क करे या ऑनलाइन ऑर्डर करें। यहां पर जड़ी बूटी खिलाकर आपका शर्तिया इलाज किया जायेगा। आप नित्यानादी का हेल्थ सप्प्लेमेन्ट का उपयोग करके स्वस्थ रह सकते है।